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संयुक्त खदान मजदूर संघ का प्रतिनिधि मंडल राजहरा माइंस हॉस्पिटल की समस्याओं के निदान के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी मनोज डहरवाल से मिला।

रमेश मित्तल नवभारत news 24 छत्तीसगढ़

संयुक्त खदान मजदूर संघ का प्रतिनिधि मंडल राजहरा माइंस हॉस्पिटल की समस्याओं को लेकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी मनोज डहरवाल से मिला तथा माइंस हॉस्पिटल राजहरा से संबंधित समस्याओं के निदान की मांग की।

प्रतिनिधि मंडल ने अपनी मांग व चर्चा में कहा कि-

1. प्रत्येक माह की 1 तारीख को भिलाई से विशेषज्ञ डॉक्टर माइंस हॉस्पिटल में आते हैं ।उस दिन मरीजों की संख्या बहुत अधिक रहती है, और मरीजों के बैठने की कोई उचित व्यवस्था नहीं रहती। मरीजों के बैठने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।

डॉक्टर साहब ने मरीजों के बैठने के लिए उचित व्यवस्था करवाने की बात कही।

2. भिलाई से जो विशेषज्ञ डॉक्टर आते हैं उनको दिखाने के लिए भिलाई की तर्ज पर यहां पर मरीजों को टोकन नंबर दे दिए जाएं जिससे मरीज को दिखाने में तकलीफ ना हो।

डॉक्टर साहब ने कहा कि 1 तारीख को जो डॉक्टर भिलाई से राजहरा आते हैं, तो उसके लिए पहले से ही जिस डॉक्टर को दिखाना है उस डॉक्टर का अपॉइंटमेंट मरीज ऑफिस में पंजीयन करा कर पहले से ही ले सकता है ताकि मरीज को पंजीयन के आधार पर प्राथमिकता के साथ चिकित्सा सुविधा प्राप्त हो।

3. अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ की बहुत कमी है। नर्सिंग स्टाफ का काम कई बार ठेका मजदूरों से लिया जाता है, जो कि जोखिमपूर्ण है। इसलिए नर्सिंग स्टाफ की कमी शीघ्र दूर की जाए।

4. किसी आकस्मिक दुर्घटना में चोटिल कर्मचारियों को पट्टी के लिए कैजुअल्टी में जाने पर अक्सर ड्रेसर उपलब्ध नहीं रहता है। और इसके अतिरिक्त महिला मरीज के लिए एक भी महिला ड्रेसर नहीं है। अतः अस्पताल में ड्रेसर की ड्यूटी सुनिश्चित की जाए और ड्रेसर स्टाफ को पर्याप्त मात्रा में रखा जावे, जिसमें कम से कम एक महिला ड्रेसर अवश्य हो।

डॉक्टर साहब ने बताया कि मेडिकल स्टाफ की कमी को दूर करने के लिए उच्च प्रबंधन को पत्र लिखकर सूचित कर दिया गया है।

5. माइंस हॉस्पिटल लैब में या तो लापरवाही से अथवा जानबूझकर टेस्ट रिपोर्ट कभी कभी गलत दिया जाने लगा है। कुछ दिन पहले ही एक मरीज को ब्लड टेस्टिंग रिपोर्ट करने पर बताया जाता है कि उसका एच.बी. केवल 5.5 ग्राम है और इसी रिपोर्ट की गंभीरता के आधार पर उसे भिलाई रेफर किया गया। भिलाई सेक्टर 9 हॉस्पिटल में दुबारा टेस्ट करने पर उस मरीज का एच.बी. 12.5 ग्राम आया। एक प्रकार से यह मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ है। इस प्रकार गलत रिपोर्ट के कारण मरीज व उसके परिवार को मानसिक रूप से बहुत परेशानी होती है।लैब में टेस्टिंग विश्वसनीय होना चाहिए और रिपोर्ट सही होनी चाहिए चाहे वह किसी भी लैब में टेस्ट किया गया हो।

डॉक्टर साहब ने आश्वासन दिया कि हमारे पास जो भी संसाधन है उसमें जो भी अच्छा हो सकता है उसको मरीज के लिए किया जावेगा तथा मेडिकल स्टाफ की कमी के बारे में भी उच्च प्रबंधन को बता दिया जाएगा*

इस बैठक में यूनियन के अध्यक्ष श्रीनिवासलू, संगठन सचिव राजेश कुमार साहू, कोषाध्यक्ष ओ पी शर्मा, कार्यालय सचिव हंस कुमार, नरेंद्र जनबंधु, उमेश कुमार पटेल आदि उपस्थित थे।

Ramesh Mittal

Chief Editor, navabharatnews24.com

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