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मोदी सरकार के बनाये गये जिला खनिज फंड की राशि का नियम विपरीत खर्च करने एवं मूलभूत सुविधाओं के लिए कल से सर्व संगठन का प्रारंभ होगा आंदोलन

रमेश मित्तल नवभारत news 24 छत्तीसगढ़

दल्लीराजहरा/लौह अयस्क नगरी के नाम से विख्यात दल्लीराजहरा शहर का अस्तित्व लगभग 70 साल  पहले सेल की यूनिट बीएसपी के द्वारा यहाँ की सभी लौह अयस्क खदानों को लीज पर लेकर लौह अयस्क का खनन प्रारंभ किया तब ही आया शुरुवाती दौर मे बीएसपी प्रशासन ने यहाँ आस पास के जिलों व ग्रामीण लोगो को बुला बुलाकर खदानों में नोकरिया प्रदान की व्यापारियों को लीज में जमीनें देकर बसाया एवं यहां के नागरिकों व अपने कर्मचारियों के लिए जगह जगह स्कूल खोले बिजली,पानी की बुनियादी सुविधाएं प्रदान की अपने कर्मचारियों के लिए अस्पताल बनवाया समय के साथ धीरे धीरे सब सुविधाओं को एक एक करके छीन लिया गया सुविधाओं व रोजगार के अभाव में इस शहर की जनसंख्या सवा लाख से 35-40 हजार में सिमट गई है अब शहर के माइंस से सबसे ज्यादा प्रभावित लगभग 10 वार्डो की जनता को सिर्फ धूल,कीचड़ ही नसीब हो पा रहा है मूलभूत सुविधा के लिए भी तरस रहे है जबकि बीएसपी प्रशासन CSR की राशि को अन्यंत्र शहरों में खर्च कर रही हैं।

केंद्र में 2014 में मोदी सरकार आई 2015 में मोदी सरकार ने रायल्टी की राशि का 33% माइंस वाले जिले में देने का कानून बनाया जिससे उस छेत्र का समुचित विकास हो उसको ही जिला खनिज फंड के नाम से जाना जाता है उस कानून में उल्लेख है कि 60% की राशि प्रभावित शहर में एवं 40% की राशि आस पास में खर्च करने का प्रावधान किया ओर यह कानून सन 2016 से प्रभावी हो गया अभी तक जिला प्रशासन को लगभग अरबो रुपये पिछले 8 सालों में मिल चुके हैं लेकिन यह राशि दल्लीराजहरा व आस पास के इलाकों में खर्च ना करके नियम विपरीत अन्य जिलों व जगहों पर खर्च कर दल्लीराजहरा के नागरिकों के साथ छल किया गया है लेकिन दल्ली राजहरा में 5% भी राशि खर्च नही किया गया है ! जबकि स्थानीय लोग मूलभूत की सुविधाओ जिसमें अस्पताल, विद्यालय, बायपास सड़क जैसी मांगो के लिए कई बार आंदोलन व हड़ताल कर चुके है लेकिन हर बार दल्लीराजहरा के निवासियों को आश्वासन के अलावा कुछ नही मिला है इतना बड़ी माइंस होने के बाद भी यहां एक सर्व सविधा युक्त हॉस्पिटल तक नही है जिससे समय पर इलाज ना मिलने के कारण कईयों लोगों ने समय पूर्व दम तोड़ दिया।

दल्लीराजहरा को लौह नगरी के नाम से जाना जाता है यहां आस पास कच्चा लोहा BSP द्वारा निकाल कर भिलाई भेजा जाता है BSP द्वारा पिछले लगभग 70 सालो से लगातार लौह अयस्क का खनन कर रहा है अब यहां कुछ ही वर्षों का लौह अयस्क बचा हुआ है इन लौह अयस्क से BSP प्रशासन अरबो खरबो रुपये कमाती है वहीं सेल की सबसे ज्यादा कमाने वाली यूनिट है उसके बाद भी इस शहर की सड़कों की दशा देखने लायक हैं, BSP की खदानों में पूर्व में लगभग 600 ट्रक स्थानीय ट्रक मालिको के चलते थे धीरे धीरे ठेकेदारी प्रथा के कारण स्थानीय ट्रक मालिक बेरोजगार हो गए BSP प्रशासन के द्वारा अपना पूरा कच्चा लोहा ट्रेन के माध्यम से भिलाई भेजा जाता है,BSP यहाँ के परिवहन मालिक को भी रोजगार नही दे रही है जबकि लगातार कई वर्षों से ट्रक मालिक 15% लौह अयस्क परिवहन का काम मांगते मांगते थक चुके हैं इन परिवहन मालिको को दूसरे जिले की माइंस के भरोसे अपना रोजगार चलना पड़ रहा है !

DMF फंड में भी बंदर बाट देखने को मिल रहा है जिसको ED द्वारा लगातार जांच किया जा रहा है और लगातार छापा मार कार्यवाही की जा रही है इस बंदर बाट में बालोद जिले के अधिकारियों के साथ साथ कुछ नेताओ का नाम भी आ रहा है जिन्होंने जमकर भ्रष्टाचार किया है! ओर इसका खामियाजा दल्लीराजहरा व आसपास के ग्रामीण इलाकों के निवासियों को करना पड़ रहा है और उन्हें अपनी मूलभूत सुविधा के लिए तरसना पड़ रहा है लेकिन कल दिनांक 27 अगस्त 2024 से राजहरा व्यापारी संघ के नेतृत्व में समस्त व्यापारी, समस्त सामाजिक संगठन, समस्त यूनियन व आसपास के ग्राम पंचायत के सरपंच व ग्रामीण 8 सूत्रीय मांगों को पूरा करने के लिए इस आंदोलन में शामिल होंगे |

Ramesh Mittal

Chief Editor, navabharatnews24.com

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