बजट में न विज़न न राहत न रियायत,मध्यमवर्ग निराश,महँगाई और बेरोज़गारी से निपटने कोई रोडमैप नहीं : युवा कांग्रेस नगर अध्यक्ष परितोष हंसपाल
नवभारत news24/रमेश मित्तल /दल्ली राजहरा । भारत की वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण जी के द्वारा मोदी सरकार का अनुमानित अंतिम , अंतरिम बजट 2024 की घोषणा की गई । इस संदर्भ में युवा कांग्रेस दल्ली राजहरा के नगर अध्यक्ष परितोष हंसपाल ने कहा है कि एक बजट के 2 कार्य होते हैं , 1. पिछले साल का ब्यौरा 2. आने वाले साल के लिए विज़न , इस बजट में दोनों ही नहीं है ।
इस जुमले नामा बजट का सबूत देखिए , 2019 में प्रधानमंत्री द्वारा ट्वीटर के माध्यम से वादा किया गया था कि देश के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 100 लाख करोड़ का प्रावधान लाया जाएगा , फिर ठीक 2 साल बाद 2021 में भी यही घोषणा करने के बाद अब बजट में 11.11 लाख करोड़ की घोषणा की गई ।
इससे समझा जा सकता है कि इनके कथनी और करनी ने कितना फ़र्क़ है ।
सरकार को जवाब देना चाहिए कि :
1. पिछले 10 सालों में सरकार ने जितने वादे किए गए, उनमें से कितने पूरे हुए? कितने बाक़ी हैं? बजट में उन वादों का कोई ज़िक्र नहीं था।
2. 2014 में जो कृषि विकास दर 4.6% था, वो इस साल 1.8% कैसे हो गया। UPA के दौरान हमारी खेती 4% औसत से बढ़ती थी, वो आधा क्यों हो गया? क्यों 31 किसान हर रोज़ आत्महत्या करने पर मजबूर हैं?
3. 2014 में शिक्षा का बजट जो कुल बजट का 4.55% था, वो गिरकर 3.2% कैसे हो गया?
4.SC, ST, OBC & MINORITY WELFARE का कुल बजट की तुलना में share लगातार क्यों गिर रहा है?
5.रक्षा बजट और स्वास्थ्य बजट में लगातार गिरावट क्यों जारी है?
6.पूरे बजट में Jobs शब्द केवल एक बार इस्तेमाल किया गया है। बेरोज़गारी 45 साल में सबसे अधिक क्यों हैं?
20-24 साल के युवाओं की बेरोज़गारी 45% पर क्यों है?
मोदी सरकार ने 3 करोड़ से ज़्यादा लोगों की नौकरियां क्यों छीनी? हर महीने पेपर लीक क्यों होते हैं?
7.आसमान छूती महंगाई से हर कोई परेशान है। ज़रूरी वस्तुओं पर 5% से18% GST क्यों लगाया? आटा, दाल, चावल, दूध, सब्ज़ियों के दाम क्यों बढ़ते जा रहें हैं? यह बताने वाला कोई नहीं है।
8.वित्त मंत्री दावा करती हैं कि आम आदमी की आय बढ़ी है। ये झूठ है, सच है कि पिछले 5 वर्षों में ग्रामीण भारत का वेतन घटा है। ग्रामीण दिहाड़ी 10 सालों में बढ़ने के बजाय गिरी है।
9.वित्तमंत्री जी ने पूरे बजट के भाषण में मनरेगा का नाम तक नहीं लिया, क्योंकि UPA के वक़्त 100 दिन का काम मिलता था, वो अब केवल साल में 48 दिन रह गया है।
10. महिला व बाल विकास मंत्रालय का बजट भी कुल बजट की तुलना में इस सरकार ने कम किया है। Female Labour Force Participation जो 2005 में 30% पर था वो अब 24% पर क्यों गिर गया?
11.Congress-UPA के दौरान देश का औसत आर्थिक विकास दर जो New Series के मुताबिक, 8% पर था, वो इस सरकार में लुढ़क कर 5.6 % पर क्यों पहुँच गया?
12.राज्यों को ट्रांसफर किये जाने वाली राशि मे 12% गिरावट क्यों?
जब से मोदी सरकार बनी है, तब से बस बड़े-बड़े सपने दिखाने का काम हो रहा है।
नाम बदल-बदल कर योजनाएँ लॉन्च होती हैं। लेकिन ये नहीं बताया जाता कि पुराने वादों का क्या हुआ? जो नये सपने दिखाए जा रहा है ।
इस बजट से न सिर्फ महँगाई की मार झेल रहे माध्यम वर्गीय निराश हैं बल्कि जो शिक्षित बेरोज़गार अपने लिए किसी प्रावधान की आस में बैठे थे , उन्हें भी निराशा ही हाँथ लगी ।
कुल मिला कर बजट चका चौंध से भरी , सुनहरे शब्दों के लिबाज़ में पेश किया गया खोखला बजट है और आने वाले समय मे इससे महँगाई बढ़ती ही नज़र आएगी ।