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सफ़र ए उमरहा मुबारक मै जा रहे उमते महोमदी का इस्तक़बाल किया

रमेश मित्तल नवभारत news 24 छत्तीसगढ़

आशिक़ चले अपने इश्क़ का दीदार करने

दल्लीराजहरा/ अंतागढ़ से जा रहे सफ़र उमराह हज करने खलील खान आमना खान हलीमा खान अब्दुल समद खान (सदर ) अंतागढ़ हरजाना खान शाहनवाज़ ख़ान ज़ीब्रा ख़ान रिदा फातिमा इक़बाल खान जमीला खान का हार व गले लगा कर धूम धाम से इस्तक़बाल किया जिसमें छत्तीसगढ़ उमराह एण्ड वेलफेयर फ़ाउंडेशन सोसाइटी के संस्थापक व सर रफीक सैय्यद मो अहमद मो फिरोज अब्दुल नासिर सैय्यद गुलाम जिलानी एंजाज खान मो शकील खान रोशन महोम्मद जावेद हुसैन रफीक खान शकील कुरैशी अब्दुल जब्बार नसीम अहमद मीर जुनैद अली शेख राजा सैय्यद आजाद ने उमराह मै जाने वालो के खाने व नस्ता का इंतेजाम किया दुआ करने की बात कही

उमराह पर क्यों जाते हैं?
उमराह मुसलमानों के लिए शुद्धि प्राप्त करने, अपने दिलों को साफ करने और अल्लाह सर्वशक्तिमान के करीब होने का एक साधन है। यह हमारी दुआओं का जवाब पाने और पिछले पापों से अल्लाह की माफ़ी पाने का मौका है।

इस्लाम में उमराह क्या है?
उमराह को अक्सर ‘छोटा’ या ‘मामूली’ तीर्थयात्रा कहा जाता है। यह मुसलमानों द्वारा की जाने वाली पूजा का कार्य है। इसमें तीर्थयात्री मक्का के धन्य शहर की यात्रा करते हैं; जहाँ प्रतिष्ठित काबा इस्लामी आस्था का केंद्र और पूजा की केंद्रीय दिशा है, और धन्य अनुष्ठानों का एक सेट करते हैं।

उमरा और हज में क्या अंतर है?

जो लोग हज के लिए समर्थ नहीं होते वो उमरा करना चाहते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दोनों में क्या फर्क होता है. हज इस्लाम के 5 फर्ज में से एक है हालांकि, हज उन लोगों को करना जरूरी है, जो आर्थिक रूप से सक्षम हैं. जबकि उमरा करना फर्ज नहीं है.

Ramesh Mittal

Chief Editor, navabharatnews24.com

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