२८ सितंबर नियोगी जी की शहादत दिवस को मजदूर,किसान एकता संकल्प दिवस के रुप में दल्लीराजहरा में मनाया जायेगा – पूर्व विधायक व छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा अध्यक्ष कॉम्रेड जनक लाल ठाकुर
रमेश मित्तल नवभारत news 24 छत्तीसगढ़
दल्लीराजहरा/ छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संघ व छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा और शहीद अस्पताल के संस्थापक, ‘संघर्ष और निर्माण’ एक नये राजनीतिक धारा के प्रणेता व नये ‘भारत के लिए सुंदर और शोषण मुक्त छत्तीसगढ़’ के स्वप्नदृष्टा शहीद कामरेड शंकर गुहा नियोगी जी के ३३ वे शहादत दिवस २८ सितंबर को “मजदूर-किसान एकता संकल्प दिवस” के रुप में मनायेगी उपरोक्त जानकारी कामरेड सोमनाथ उईके अध्यक्ष छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संघ और कामरेड जनकलाल ठाकुर अध्यक्ष छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा व डॉ शैबाल जाना अधीक्षक शहीद अस्पताल ने प्रदान की।
१८ सितंबर १९४२ को पश्चिम बंगाल के दिनाजपुर जिला के छोटे से अंजान गांव बालूवाड़ी में जन्में व छत्तीसगढ़ के भिलाई इस्पात संयंत्र में एक कर्मचारी के रुप में भर्ती होकर कर्मचारियों के जायज मांगो के लिए इमानदारी पूर्वक संघर्ष करने के कारण झुठे आरोप में संयंत्र की नौकरी से बर्खास्त किये जाने के बाद, भारत के नक्शे में स्थित छत्तीसगढ़ जैसे अति पिछड़े क्षेत्र के छोटे से नगर दल्ली राजहरा के लोहे के खदानो में ठेकादारी प्रथा के भयंकर गरीबी, शोषण, पूंजीवाद, अत्याचार से पिड़ित बेआवाज खदान मजदूरो की आवाज बनकर अपने क्रांतिकारी राजनीतिक जीवन का सफर आरंभ करने वाल भारत के प्रसिद्ध क्रांतिकारी ट्रेड युनियन नेता, क्रांतिकारी समाज सुधारक, क्रांतिकारी राजनीतिक विचारक व विश्व में मौजूद परंपरागत राजनीतिक दर्शन से अलग हटकर मेंहनतकश वर्ग के प्रत्यक्ष भागीदारी पर आधारित ‘संघर्ष और निर्माण’ का नया राजनीतिक दर्शन देकर गरीबी, शोषण, अत्याचार और पूंजीवाद से मुक्त ‘नये भारत के लिए सुंदर और शोषण मुक्त छत्तीसगढ़’ निर्माण के लिए जीवन के अंतिम समय तक संघर्षरत रहे शहीद कॉम्रेड शंकर गुहा नियोगी जी की २८ सितंबर १९९१ को भिलाई स्थीत हूडको में उनके निवास पर सोते समय सुबह के ३ बजकर ४५ मिनट पर उद्योगपतियो ने भाड़े के गुण्डे के हाथो गोली मरवाकर हत्या कर दि थी।
हत्यारों ने सोचा था की नियोगी जी की हत्या के बाद उनके क्रांतिकारी विचार, राजनीतिक दर्शन और उनके कार्य और ‘नये भारत के लिए सुंदर और शोषण मुक्त छत्तीसगढ़’ का उनका सपना भी समाप्त हो जायेगा पर वे भुल गये थे की एक व्यक्ति को तो मारा जा सकता है पर उसके विचार को नही। हत्या के ३३ वर्ष बाद भी नियोगी जी के विचार जिंदा है। छत्तीसगढ़ के खेतो में अपना पसीना बहाते किसानो, खदान-कल कारखानो में अपना लहू जलाते मजदूरो, पुरुषवादी श्रेष्ठता पर आधारित पितृसत्तात्मक समाज में दोयम दर्जे का जीवन जी रही महिलाओं, बेरोजगार नौजवानों, असमान और बाजारवादी शिक्षा में गुणवत्ता पूर्ण और समान शिक्षा से वंचित गरीब मेंहनतकश वर्ग से आने वाले विद्यार्थियों की मुक्ति का मार्ग शहीद नियोगी के बताये और दिखाये ‘संघर्ष और निर्माण’ के मार्ग पर चलकर ही संभव होगा उसके अतिरिक्त मौजूद मार्ग मेंहनतकश वर्ग के लिए छलावा मात्र है।
आज भारत की केन्द्रीय सत्ता पर पिछले १० वर्षो से सत्तारूढ़ घोर साम्प्रदायिक सरकार ने देश के मेंहनतकश आवाम के साथ धोखा किया, गरीबी, बेरोजगारी दूर करने, किसानो की आय दोगुनी करने, महंगाई कम करने, भ्रष्टाचार खत्म करने और देश को अच्छे दिन देने का झुठा वादा कर सत्ता में आई मोदी सरकार के राज में भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, गरीबी, महंगाई अपने अब तक के इतिहास में चरम पर है, महिलाओं, दलितों, पिछड़ो और धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमले बेतहाशा बढ़ गये है, कर्ज से दबे किसान और बेरोजगारी से त्रस्त युवाओं का आत्महत्या दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है, अनुसूचित क्षेत्रो में मौजुद प्राकृतिक संसाधनो की पूंजीवादी लूट बेरोकटोक जारी है इसका शांतिपूर्ण विरोध करने वाले आदिवासियों को नक्सली घोषित कर फर्जी मामलो में जेल में डाला जा रहा है, फर्जी एनकाउंटर में मारा जा रहा है। समाज में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण कर धर्म के नाम पर मेंहनतकश वर्ग को लड़ा कर गरीबी, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, महंगाई जैसे जनता के ज्वलंत मुद्दों से ध्यान भटका रही है तो वही दूसरी ओर अपने कारपोरेट मित्रो को देश के संसाधनों को कौड़ी के मोल सौप रही है, उनका लाखो करोड़ का कर्ज माफ कर रही है, कारपोरेट टैक्स में भारी कटौती कर उनको दिन रात लाभ पहुंचाने में लगी हुई है। इस सरकार के कारपोरेट परस्ती, सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का विरोध करने वाले सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं, ट्रेड युनियन नेताओ, बुद्धिजीवीयो, कवि, पत्रकारो, शिक्षाविदो, वकीलो, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को नक्सली कहकर गंभीर फ़र्जी आरोप में सालो-साल तक जेल में रखकर मेंहनतकश मजदूर, किसान, दलित, पिछड़ो, अल्पसंख्यको के हक और न्याय के लिए आवाज उठाने की सजा दे रही है। अपने राजनीतिक विरोधियों को देश का गद्दार घोषित कर देश में एक अघोषित आपातकाल लगा रखी है।
ऐसे अघोषित आपातकाल के अंधेरे समय में कॉमरेड नियोगी का क्रांति, शांति और विकास का विचार व “संघर्ष और निर्माण” का राजनीतिक दर्शन मशाल बनकर मेंहनतकश वर्ग को गरीबी, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, महंगाई, साम्प्रदायिकता, पूंजीवादी-साम्राज्यवादी लूट, शोषण, अत्याचार से और महिलाओं को पितृसत्तात्मक सामाजिक व्यवस्था से मुक्ति और सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक स्वतंत्रता और समानता हासिल करने का मार्ग दिखाता है।
छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संघ और छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा व शहीद अस्पताल क्षेत्र के तमाम लोकतंत्र, गणतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और संविधान पर आस्था व विश्वास रखने वाले अमन पसंद मेंहनतकश मजदूरों, किसानो, महिलाओ, विद्यार्थियों, बेरोजगार युवाओं, लोक कलाकारो, पत्रकारो, कवियो व बुद्धिजीवी व लघु व्यवसायों से अपील करती है की २८ सितंबर शहीद कॉम्रेड शंकर गुहा नियोगी जी के शहादत दिवस पर आयोजित “मजदूर-किसान एकता संकल्प दिवस” परअधिक से अधिक की संख्या में छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा कार्यालय में अपनी उपस्थिति देकर अमर वीर शहीद कॉम्रेड शंकर गुहा नियोगी जी को श्रद्धांजलि अर्पित करे। अमर शहीद कॉम्रेड शंकर गुहा नियोगी जी को उनके समाधी स्थल पर २८ सितंबर को सुबह ३ बजकर ४५ मिनट पर मशाल प्रज्वलित कर श्रद्धांजलि दि जायेगी व दोपहर ०१ बजे युनियन कार्यालय से रैली के माध्यम से दल्ली राजहरा के प्रमुख मार्गो से होते हुए माइंस आफिस चौक पर आमसभा के रुप में परिवर्तित होगी जिसे मोर्चा के प्रमुख साथी व नियोगी जी के विचारो को मानने वाले साथी संबोधित करेंगे।