प्रतिपदा के संयोग वाली अमावस्या सुखदायी, इसलिए दीपावली 1 नवंबर को करें
रमेश मित्तल नवभारत news 24 छत्तीसगढ़
समस्त प्रदेशवासियों को दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं
अभिषेक कृष्ण महराज जी की ओर से लौह अयस्क संस्कारधानी वासियों को दिवाली की शुभकामनाएं
इस वर्ष दिवाली का पर्व 1 नवंबर को मनाया जाएगा। यह तिथि अमावस्या के दिन पड़ती है, जो भगवान राम की विजय का प्रतीक है।
दिवाली का महत्व
दिवाली एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जो अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार हमें बुराई पर अच्छाई की जीत की याद दिलाता है और हमें अपने जीवन में सकारात्मकता और प्रकाश को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है।
अभिषेक कृष्ण महराज जी का संदेश
“इस दिवाली पर, आइए हम अपने जीवन में प्रकाश और सकारात्मकता को बढ़ावा दें। आइए हम अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलकर इस त्योहार को मनाएं और अच्छाई की जीत का जश्न मनाएं।”
निवेदन
आप सभी से निवेदन है कि दिवाली के पर्व को 1 नवंबर को ही मनाएं, क्योंकि यह दिन प्रतिपदा युक्त है और उत्तम माना जाता है।
अमावस्या के दिन लक्ष्मी जी का विसर्जन नहीं करना चाहिए क्योंकि:- अमावस्या लक्ष्मी जी की पूजा का दिन है: इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा करने से घर में समृद्धि और सुख आता है।
लक्ष्मी जी का विसर्जन अशुभ माना जाता है:
अमावस्या के दिन लक्ष्मी जी का विसर्जन करने से घर में अशुभता और दरिद्रता आ सकती है।
पूजा का संचार होता है: अमावस्या के दिन लक्ष्मी जी की पूजा करने से पूजा का संचार होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।हिंदू परंपरा का पालन: अमावस्या के दिन लक्ष्मी जी का विसर्जन न करना हिंदू परंपरा का पालन करना है।
अगर आप 31 को पूजा करते है तो 1 को अपको विसर्जन करना होगा और उस दिन अमावस्या है तो आप विसर्जन भी नही कर पाएंगे 1 को करे पूजन और दो को करे पूजा विसर्जन वैसे तो लक्ष्मी जी का विसर्जन होता नही है पर भाव बना कर बिदाई दे कर पुनः आने का निमंत्रण है इस भाव से हम विसर्जन करते है