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दल्लीराजहरा के हक की खनिज न्यास निधि की राशि को राजहरा में ना करके अन्य जिलों में खर्च कर सरकार बंदरबांट कर रही है- गोविंद वाधवानी

रमेश मित्तल नवभारत news 24 छत्तीसगढ़

दल्लीराजहरा/ राजहरा व्यापारी संघ के द्वारा कल अटल योग सदन दल्लीराजहरा में प्रेस वार्ता रखी गई थी जिसमें मुख्य मुद्दा बीएसपी प्रशासन के द्वारा खनिज न्यास निधि में प्रतिवर्ष लगभग कई करोड़ों रुपए की राशि राज्य सरकार व जिला प्रशासन को प्रदान की जाती है और केंद्र सरकार के गाइड लाइन के अनुसार उस रायल्टी की राशि का 40% खनन क्षेत्र में एवं 60% राशि माइंस से प्रभावित छेत्रो में मूलभूत सुविधाओं व विकास कार्यों में खर्च करने का प्रावधान है लेकिन इस राशि का दल्लीराजहरा व आस पास छेत्रो में ना करके राज्य सरकार के द्वारा पिछले 10 वर्षों से अन्य जिलों में बंदरबांट करके राजहरा व आस पास की जनता के मौलिक अधिकारों के साथ खिलवाड़ कर रही हैं जबकि राज्य सरकार रायल्टी की 10% राशि भी राजहरा के विकास के लिए खर्च करती तो राजहरा का चोहुमुखी विकास होता एवं यह शहर उजड़ने की राह पर नही जाता ।

इस संबंध में राजहरा व्यापारी संघ के अध्यक्ष गोविंद वाधवानी ने कहा कि सरकार दल्लीराजहरा को अनदेखा करते हुए खनिज न्यास निधि से मिलने वाली राशि को दल्ली राजहरा के बजाए अन्य जगहों पर खर्च कर रही है जिसका सीधा नुकसान दल्ली राजहरा की जनता को हो रहा है l एक समय था जब राजहरा में 80 के दशक में सवा लाख से ऊपर के जनसंख्या हुआ करती थी आज लगभग 40 हजार में सिमट कर रह गई है। दल्ली राजहरा में बीएसपी द्वारा संचालित कई प्राथमिक शाला और हाईस्कूल हुआ करते थे धीरे धीरे बीएसपी प्रशासन ने सभी शैक्षणिक संस्थान बन्द कर दिये वहीं लोगों के इलाज के लिए BSP अस्पताल जो आज सिर्फ रेफर सेंटर बन कर रह गया है सरकार द्वारा संचालित पूर्व माध्यमिक शाला पंडर दल्ली एवं पुराना बाजार में ही है वही हाई स्कूल के रूप में नेहरू स्कूल चल रहा है जिससे गरीब बच्चों के लिए कोई भी सर्वसुविधायुक्त स्कूल नही है इसलिए मजबूरन प्राइवेट स्कूलों में महंगी फीस देकर शिक्षा ग्रहण करना पड़ रहा है, जिले के जिलाधीश श्री राजेश राणा ने दल्लीराजहरा के लिए वर्ष 2016-2017 में झरनदल्ली में 8.5 एकड़ भूमि का चयन कर केंद्र सरकार को केंद्रीय विद्यालय के लिए प्रपोजल भेजा गया था तब से यह केंद्रीय विद्यालय भी राजनीति का शिकार होकर रह गया है हर साल झुनझुना थमाया जा रहा है सरकार के द्वारा दल्लीराजहरा को सिर्फ एक दुधारू गाय के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है यहां के विकास से संबंधित कोई भी मांगो जैसे केंद्रीय विद्यालय,100 बिस्तर अस्पताल, बाईपास सड़क, शैक्षणिक हब को पूरा करने की मंशा नजर ही नही है दल्लीराजहरा के विकास की ओर कभी भी ध्यान नहीं दिया गया राजहरा की स्थिति दिन प्रतिदिन दयनीय होती जा रही है l
केंद्र सरकार ने खनिज न्यास प्रभावित क्षेत्र के लिए एक नियम बनाया गया है जिसके तहत खनन से प्रभावित क्षेत्र के आसपास के 16 किलोमीटर के दायरे में निवासरत लोगों को स्वास्थ्य ,शिक्षा ,शुद्ध पेयजल , बच्चों के खेलकूद , सड़क सहित अन्य बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना खनन करने वाली पार्टी को बुनियादी सुविधाओं को पूरा करना सुनिश्चित किया था लेकिन बीएसपी प्रशासन CSR के मद की राशि का उपयोग यहां की मूलभूत सुविधाओं में ना करके अन्य मदो में करके अपने कर्तव्यों से इति श्री कर लेती है।
सरकार द्वारा राजहरा वासियों को जो मुंगेरीलाल के सपने दिखाए जा रहे हैं l अब बहुत हो गया हर बार शहर की जायज मांग को अनदेखा किया जा रहा है l इस बार पूरे राजहरा के सभी समाज ,सभी राजनीतिक दल , सभी श्रमिक संगठन और धार्मिक संगठन को एक करके एक विशाल रैली कलेक्टर ऑफिस के लिए निकाली जाएगी l पिछले बार तो लगभग 600 आदमियों की बाइक रैली निकाली गई थी लेकिन अब उससे कई गुना ज्यादा लोगो को लेकर कलेक्टर आफिस पहुंच कर खनिज न्यास निधि की राशि का बंदरबांट नही करने दिया जायेगा एवं खनिज के नाम से जो राशि सरकार को दी जाती है उसे पूरे दल्लीराजहरा के विकास के लिए खर्च करने कलेक्टर महोदय से निवेदन किया जाएगा l

समाज सेवी श्री कृष्णा सिंह ने DMF फंड की राशि व CSR की राशि के बारे मे पिछले दिनों छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में मामले को लेकर गए जहां से सरकार को इस मामले में जवाब दाखिल करने का समय दिया गया है उन्होंने बताया कि कोविड सेंटर को 30 बिस्तर अस्पताल में तब्दील करने के नाम पर 5 करोड़ की राशि डी एम एफ फंड से आवंटित की गई है l आज वहां स्थिति जाकर देखें तो पुराने बीएसपी के भवन को 5 करोड़ रूपया खर्च करके किस तरह से उसको अस्पताल में तब्दील किया गया है साफ नजर आ रहा है इसका आम जनता को कोई भी लाभ नहीं मिल रहा है यह अस्पताल के नाम पर मात्र दिखावा बन कर रह गया है जो सुविधा होनी चाहिए वह यहां पर कुछ भी नहीं है, जबकि नियम के तहत केंद्र और राज्य सरकार के किसी भी योजना में डीएमएफ फंड की राशि को खर्च नहीं किया जा सकता है, सरकार द्वारा राजहरा के पूरे 27 वार्ड के लिए. प्रत्येक वार्ड के लिए ₹ 270000 रुपए की राशि फिल्टर प्लांट के नाम पर आवंटित किया गया है लेकिन इस राशि का उपयोग राजहरा के वार्ड वासियों को अभी तक नहीं मिल पाया है l

प्रेस कॉन्फ्रेंस में छत्तीसगढ़ चेम्बर आफ कामर्स के बालोद इकाई के अध्यक्ष शंकर लाल कुकरेजा छत्तीसगढ़ समन्वय समिति के महासचिव व यूनियन प्रतिनिधि तोरण लाल साहू,वार्ड नं 26 की पार्षद टी ज्योति, राजहरा व्यापारी संघ के पूर्व कोषाध्यक्ष रमेश मित्तल एवं भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष संजीव सिंह सभी ने अपने अपने विचार रखे सभी ने एक राय से कहा कि राजहरा के हर संगठन को एक करके खनिज न्यास निधि के बंदर बाट को बंद कर राजहरा के हक का पैसा राजहरा के विकास में खर्च हो ऐसी व्यवस्था करनी पड़ेगी शहर की इस जायज हक के लिए अगर आंदोलन भी करना पड़े तो करे हम सब राजहरा व्यापारी संघ के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आपके साथ पहले भी खड़े थे और आगे भी आपके साथ खड़े रहेंगे।

आज समाज सेवी कृष्णा सिंह ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाये तो लोगों को खनिज न्यास निधि की जानकारी हुई ऐसा नहीं है जानते सभी थे कि यह खेल कई वर्षों से खेला जा रहा है इससे पहले भी नगरपालिका के उपाध्यक्ष संतोष देवांगन ने कई बार आवाज उठाई लेकिन किसी ने उनको गंभीरता से नही लिया उन्होंने जन सूचना के अधिकार के तहत बीएसपी प्रशासन से यह जानकारी हासिल करके आम जनता के बीच सार्वजनिक किया गया था लेकिन शासन प्रशासन ने उनकी बातों को अनसुना कर दिया अब अगर शहर के हर संगठन, राजनीति दल, श्रमिक संगठन, सामाजिक संगठन सब एक होकर आवाज बुलंद करें तो निश्चित ही नगरवासियों को अपनी जायज हक व अधिकार मिल कर रहेगा।

 

नगर की हकीकत यह है कि दल्लीराजहरा में कई श्रमिक संगठन है कई राजनीतिक दल ओर उनके जनप्रतिनिधि है जिले का सबसे बड़ा शहर होने के बावजूद दल्लीराजहरा को मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है कोई भी आगे बढ़कर यहां की मूलभूत सुविधाएं आम जनता को दिलाने में नाकाम ही रहा है उसका सबसे बड़ा कारण दलगत राजनीति है l सरकार किसी की भी हो राजहरा से हमेशा सौतेला व्यवहार ही किया गया है, विकास के नाम पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ की दोनों प्रमुख राजनीतिक दल अपनी उपलब्धियों का बखान कर सके वही हाल सभी ट्रेड यूनियनों का है वे सिर्फ अपने अपने यूनियन की मांगों तक सिमट कर रह गये है अगर ट्रेड यूनियन शहर के विकास के लिए आगे आ जाये तो निश्चित ही शहर के विकास को गति मिल जाएगी।

छत्तीसगढ़ राज्य के उदय होने के बाद छत्तीसगढ़ में  भारतीय जनता पार्टी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस दोनों की सरकार बनी लेकिन राजहरा की जनता को सिर्फ वोट बैंक तक सीमित कर रख दिया गया है ,चुनाव के समय राजहरा वासियों को बड़े बड़े लुभाने वादे कर मुंगेरीलाल के हसीन सपने दिखाए जाते हैं और वोट बटोर कर राज करते हैं ,कभी उन्होंने उजड़ते राजहरा को बचाने के लिए गंभीरता से ऐसा कोई भी प्रयास नहीं किया जिससे इन दोनों राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधियों की तारीफ की जाए,आज राजहरा में लौह अयस्क के खनन को लगभग 70 साल हो रहा है विकास के बजाय राजहरा आज धीरे-धीरे उजड़ रहा है लोग पलायन को मजबूर हो रहे है अगर ऐसा ही चलता रहा तो आगामी 5 सालों में यह शहर पूर्ण रूप से उजड़ने के कगार पर पहुँच जायेगा क्योंकि यहां कोई भी सरकारी विभाग नहीं है रोजगार के नाम पर यहां सरकार की ओर से कुछ नहीं किया गया जो की पूरी तरह से यहां के जनप्रतिनिधियों की उदासीनता व लापरवाही दर्शाती है,जिले का सबसे बड़ा शहर होने के बावजूद सरकार की ओर से ना तो यहां कोई सुविधाओं से युक्त शैक्षणिक, स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं है ना ही रोजगार के कोई साधन है।

भले देर से ही सही गोविंद वाधवानी के नेतृत्व में जो कदम उठाया जा रहा है वह तारीफ के काबिल है लेकिन इसके लिए पूरे राजहरा के संगठनों को पूरी तरह से भेदभाव भूलकर कर एक होकर काम करना होगा तभी राजहरा का विकास होगा तभी राजहरा छत्तीसगढ़ के मानचित्र में बना रहेगा, नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब राजहरा भी कच्चे और महामाया की तरह नजर जाएगा l

Ramesh Mittal

Chief Editor, navabharatnews24.com

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