प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के आदेश के बाद भी अवैध शराब का कारोबार नगर में धड़ल्ले से चल रहा
हर गली मोहल्ले में सुगमता से उपलब्ध हो रही शराब के कारण नाबालिग बच्चों में तेजी से नशे की लत बढ़ रही है

रमेश मित्तल नवभारत news 24 छत्तीसगढ़
दल्लीराजहरा/प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय विष्णु देव साय जी ने विगत महीनों में दो बार प्रदेश के सभी जिलों के जिला पुलिस अधीक्षक की कांफ्रेंस बैठक लेकर अवैध शराब व सट्टा, जुआ पर सख्त कार्यवाही करने को कहा गया है लेकिन क्या उस आदेश को अमलीजामा पहनाया गया या उस आदेश का परिपालन हो रहा है तो बिल्कुल भी नहीं, आज तेजी से छोटे छोटे नाबालिग बच्चों में नशा खोरी का चस्का लग रहा है उसका सबसे बड़ा कारण है हर गली वार्डो में बड़ी ही आसानी से शराब उपलब्ध हो रही हैं पुलिस प्रशासन आज अगर कार्यवाही करने वाला होता है या जिले से क्राइम ब्रांच का छापा पड़ना होता है तो सभी अवैध कारोबारियों को उनके चाहने वाले कर्मियों से पहले ही इसकी भनक उन लोगों को लग जाती है जिससे यह लोग निरन्तर बच निकल जाते हैं।
दल्लीराजहरा शहर में पुलिस प्रशासन के द्वारा अवैध बिक्री की धर पकड़ के लिए कागजो में तो पुलिस द्वारा सक्रियता तो दिखाई जाती है लेकिन इसके बावजूद भारी मात्रा में शराब की अवैध बिक्री थमने का नाम नहीं ले रही है आज शहर में कुल 27 वार्ड है लगभग सभी वार्डो में यह अवैध शराब का कारोबार पूरे उफान पर चल रहा है इस अवैध शराब के कारोबार करने वाले को 1 पौवा शराब बिक्री करने पर शुद्ध 30 रुपये का प्रति पव्वा का मुनाफा होता है शराब भट्टी में यही देशी शराब का पव्वा 90 रुपये में मिलती है। ऐसे मुनाफे को देखते हुए कई नए लोग भी इस अवैध शराब के कारोबार में संलिप्त होते जा रहे हैं पुलिस छोटे छोटे अवैध कारोबार करने वाले पर कार्यवाही करके सिर्फ खानापूर्ति करती हैं जबकि शहर में बहुत ही बड़ी तादाद में इस अवैध कारोबार को करने वाले लोग जो सत्ता पक्ष व विपक्ष के समर्थक होते हैं जिसके कारण इन लोगों को राजनीतिक संरक्षण मिलता आ रहा है इसलिए इन सभी अवैध कारोबारी के ऊपर पुलिस या आबकारी विभाग हाथ नहीं डाल पाती अगर हाथ डाल भी देती है तो जब तक यह लोग थाने पहुँचते है तब तक कई फोन इनको छुड़ाने के लिए आ जाते हैं इसलिए यह सब बड़े कारोबारी पुलिस की पकड़ से अभी तक बाहर हैं एवं बेखौफ होकर धंधा कर रहे हैं वही केस के नाम से भी अपने कर्मचारियों के नाम से महीने दो महीने में केस बनवा देते हैं। वही आबकारी विभाग भी इस मामले में लगभग सोया हुआ है जबकि उसकी ठोस जिम्मेदारी बनती है कि वह अवैध रूप से शहर में बेची जा रही शराब पर अंकुश लगाने के लिए कारगर कदम उठाएं।
बीच-बीच में पुलिस की धर पकड़ होती है परंतु इसके बावजूद भी शराब की अवैध बिक्री थम नहीं रही है चर्चा तो इस बात की भी है कि इतनी शराब एक साथ शराब दुकान से कैसे निकल पा रही है इससे ऐसा शक होता है कि यह सब मिली भगत से चल रहा है इस पर जिला प्रशासन को भी गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। बताया जा रहा है कि ड्राई डे के दिन भी आम आदमी को शराब कतिपय लोगों से बड़ी आसानी से उपलब्ध हो जाती है उस ड्राई दिवस पर इन अवैध शराब के कारोबारी की बल्ले बल्ले हो जाती हैं उस दिवस पर यह मनमाने रेट पर शराब को धड़ल्ले से बेचते हुए तगड़ा मुनाफा कमाते हैं।