“श्रीमद् भागवत कथा को आत्मसात कर ले तो मानव जीवन सफल हो जाता है :- पंडित अनिल तिवारी “
रमेश मित्तल नवभारत news 24 छत्तीसगढ़
दल्लीराजहरा/ लौह नगरी दल्ली राजहरा में शिकारी बाबा वार्ड क्रमांक 5 में आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान सप्ताह का कल अंतिम दिन तुलसी वर्षा एवं गीता उपदेश तथा विशाल भंडारा रखा गया था l
कथा के बीच में एक घटना के संबंध में उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति की पत्नी बीमार पड़ गयी वह मरणासन्न अवस्था में मूर्छित कोमा में चली गई थी l उन्होंने इलाज के लिए एक प्रतिष्ठित अस्पताल में उन्हें लेकर गए डॉक्टर ने बताया कि इनका समय अंतिम समय आ गया है l कोई दवा इन पर असर नहीं करेगा और आपकी आर्थिक स्थिति ऐसा भी नहीं है कि बहुत बड़े महंगे अस्पताल में जाकर पैसा खर्च कर सको l अच्छा हो कि जितने दिन इनका साथ हो घर पर उनकी सेवा करो l उस व्यक्ति ने अपनी पत्नी को घर ले आया और प्रतिदिन महादेव के स्वरूप शिवलिंग पर जल चढ़ाकर उनके पानी को अपनी पत्नी और के ऊपर छिड़क कर उनके मुंह में दो बूंद डालता था l महादेव की कृपा और उनकी शक्ति का चमत्कार देखो धीरे-धीरे उनकी पत्नी पूरी तरह से ठीक हो गई l जहां सारे शक्ति हार जाता है वहां पर देवाधि देव महादेव की अलौकिक शक्ति जागृत होती है l श्रीमद् भागवत कथा भगवान की शक्ति , उनपर विश्वास की कथा है l इस कथा को अनुसरण करने पर व्यक्ति की भवसागर की सारी समस्याएं खत्म हो जाती है तथा भगवान स्वयं उनकी रक्षा कवच बन जाता है l भगवान वासुदेव कृष्ण की जीवन आदमी को बहुत कुछ सीखाता है l बचपन की बाल लीला , पूतना वध ,रासलीला नागलीला मित्रों के साथ माखन चोरी ,महा पापी दुष्ट कंस का वध , रुक्मणी विवाह , द्रोपदी की रक्षा करना महाभारत युद्ध और गीता उपदेश l
य़ह भगवान श्री कृष्ण की नर से नारायण कथा है l विश्व की सबसे चर्चित श्री गीता उपदेश जिसे अनुसरण करें तो जीवन सार्थक हो जाता है l उन्होंने बताया कि महाभारत युद्ध के समय जब दोनों सेना कुरुक्षेत्र के मैदान में आमने-सामने थे l तब महारथी अर्जुन ने देखा कि उन्हें अपने गुरु ,अपने परिवारजन , अपने दादा , अपने मित्र , भाई सबसे युद्ध करना पड़ रहा है l उन्होंने वासुदेव श्री कृष्ण के सामने अपना हथियार रख दिए और कहा युद्ध कर के राज्य करने से तो अच्छा है मैं अपना सर्वस्व से दान कर दूं और युद्ध से विमुख हो जाओ l तब भगवान कृष्ण ने महारथी अर्जुन के शंका दूर करने के लिए उन्हें उपदेश दिया जिसे जो गीता उपदेश के रूप में प्रसिद्ध हुआ l
इस उपदेश में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं जिसमें 574 श्लोक वासुदेव श्री कृष्ण के हैं l गीता उपदेश में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचना , हे अर्जुन ! कर्म करने में ही तुम्हारा अधिकार है तुम कर्म करो फल की चिंता मुझ पर छोड़ दो l श्रीमद् भागवत गीता में मनुष्य को हर समस्याओं का हल मिल जाता है श्रीमद् भागवत गीता में जो उपदेश बताए गए हैं उसे यदि आप जीवन में उतार ले तो जीवन में कभी असफल नहीं होंगे l जीवन में कोई भी काम कल पर नहीं टालना चाहिए l समय आने पर सभी कार्य पूरा कर लेना चाहिए l और ना ही कभी किसी बात पर उदास हताश नहीं होना चाहिए l आप जीवन में जो कार्य को कर पाते हैं जिसके लिए भगवान ने आपको चुना है l हमें जीवन में अपने मन पर ,स्वयं पर नियंत्रण होना जरूरी है l स्वयं पर नियंत्रण नहीं होना दुख का कारण है l मन में पैदा होने वाले अनेक अनावश्यक विकार से दूर रहें l काम क्रोध मोह और लोग इन सब पर काबू करना श्रीमद् भागवत गीता सिखाता है l भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि जब-जब धर्म की हानि होगी तब मैं उसकी रक्षा के लिए इस धरती पर अवश्य आऊंगा l सबसे बड़ी बात श्रीमद् भागवत गीता में कहा गया है l
जब सत्य और असत्य लड़ाई होगी तो सत्य अकेला खड़ा होगा और असत्य की फौज लंबी होगी क्योंकि असत्य के पीछे मूर्खों का झुंड भी होगा l लेकिन अंत में जीत केवल सत्य की होगी
आयोजन कर्ता में प्रमुख रूप से इनकी भूमिका है l
जनक निषाद , शकर लाल साहू सुमित्रा निषाद ,चम्पा साहु लीलावती ,संतोष देवांगन,अशोक सिन्हा ,सुदेश ,खिलावन दास मानिकपुर ,गोपाल राव गुलाब लामा ,हित कुमारी राजपूत , संतोषी मानिकपुरी , इंदु ,सरिता साहू ,मीना साहु , ऊषा साहू प्रतिमा , मधुलता मिश्रा , अमलेश ठाकुर, बुधियारिन , मीरा शर्मा , राधा शर्मा , रीता शर्मा , अमरौतिन बाई, पार्वती सोनी ,अंजू , दिलेश्वरी ,बिंदु राजपूत ,रूबी राजपूत , गीता योगी एवं वार्ड वासीयो का भरपूर सहयोग है